मध्यप्रदेश / बाघों के सुरक्षित मूवमेंट के लिए पहली साइंटिफिक सेंचुरी भोपाल में

भोपाल। रातापानी टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद के बाद अब भोपाल के नजदीक घूम रहे बाघों के कॉरिडोर के लिए नई सेंचुरी बनाई जा रही है। भोपाल फॉरेस्ट सर्किल के केरवा से इछावर तक के वन क्षेत्र को इस सेंचुरी में शामिल किया जाएगा। 


इसके लिए 256 वर्ग किमी का इलाका चिह्नित किया गया है। इस सेंचुरी का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके बनने से भाेपाल के नजदीक घूम रहे बाघ इंसानाें के नजर में आए बिना अासानी से मूवमेंट कर सकेंगे। इन्हें बेहतर प्रबेस (भोजन) मिल सकेगा। यह देश की पहली एेसी सेंचुरी हाेगी, जाे पूरी तरह से साइंटिफिक हाेगी और इसमें किसी भी गांव काे विस्थापित नहीं करना पड़ेगा।


इसलिए बनाने की जरूरत.. भोपाल के आसपास 18 बाघों का मूवमेंट है, कई बार उनमें टेरेटोरियल फाइट होती है। इसके अलावा वे कई बार रिहायशी इलाकों में भी पहुंच जाते हैं। इस सेंचुरी के तहत उन्हें मूवमेंट के लिए सुरक्षित कॉरिडोर मिल सकेगा।


इस सेंचुरी के लिए जो स्थान चुना गया है उसमें केरवा और इछावर का फॉरेस्ट ब्लॉक लिया गया है। इस सेंचुरी में बाघों के लिए पहली बार स्टेपिंग स्टोन कॉरिडोर कॉन्सेप्ट का प्रयोग किया जा रहा है। वहीं एक कॉरिडोर को दूसरे कॉरिडोर से जोड़ने के लिए हर 200-250 किमी की दूरी पर ऐसे इलाके तैयार किए जाएंगे, जिससे बाघ एक-एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व में जाए तो उसे रुकने और प्रेबेस (भोजन)के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके।


साइंटिफिक सेंचुरी का पूरा मैनेजमेंट इको फ्रेंडली होगा
साइंटिफिक सेंचुरी का मतलब है कि इस सेंचुरी में उन सब बातों का ध्यान रखा जा है जो जंगल को रिच बनाता है। इसमें वन्यप्राणियों के खाने के मुताबिक फर्न और फोना लगाया जाएगा। जंगल के शुद्ध पानी से ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने वॉटर हार्वेस्टिंग तकनीक उपयोग की जा रही है। वन्य प्राणियों के भोजन की व्यवस्था इको सिस्टम को देखते हुए की जा रही है। यहां पर बिजली की जगह सोलर पंप और लाइट का उपयोग किया जा रहा है। स्टेपिंग स्टोन कॉरिडोर का मतलब है बाघ एक स्थान से दूसरे स्थान पर रुक रुक का जाता है। उसे हर जगह पर भोजन और रुकने की जरूरत पड़ती है। एक कॉरिडोर को दूसरे कॉरिडोर को जोड़ने के लिए बीच -बीच में सघन वन तैयार कर वन्य प्राणियों को इंसानों के हस्ताक्षेप से दूर करना है।


कोई गांव नहीं होगा विस्थापित
सेंचुरी के लिए जो फॉरेस्ट ब्लॉक को लिया गया है, उसमें एक भी राजस्व गांव नहीं आ रहे हैं। इसलिए किसी भी गांव को विस्थापित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक सेंचुरी का नक्शा ऐसा बनाया जा रहा है कि ये गांव भी सेंचुरी से बाहर रखे जाए।


इसलिए इस सेंचुरी की जरूरत
मप्र में बाघों की संख्या बढ़ रही है। उसके भोजन की व्यवस्था करने, वन विभाग के जमीन को अतिक्रमण से बचाना है और वन्यप्राणियों को एक जंगल से दूसरे जंगल में जाने के लिए कॉरिडोर विकसित करना है।